सुहेलदेव वन्यजीव अभयारण्य
452 वर्ग किमी0 के क्षेत्र में फैला सुहेलदेव वन्यजीव प्राणी अभयारण्य भारत-नेपाल सीमा के पास जनपद बलरामपुर और श्रावस्ती में स्थित है 220 वर्ग किमी0 के बफर क्षेत्र के साथ सुहेलदेव वन्यजीव अभयारण्य 1988 में स्थापित किया गया था। अन्र्तराष्ट्रीय सीमा पर स्थित यह अभयारण्य पूर्व से पष्चिम तक लगभग 120 किमी0 भूमि की पटरी पर लम्बाई में और 06 से 08 किमी0 की चैड़ाई में स्थित है। इसके उत्तर में नेपाल के जंगल है और एक साथ मिलकर दोनों एक इकाई के रूप में अवस्थित है। इस वन्यप्राणी अभयारण्य में तुलसीपुर, बहरवा, बनकटवा पूर्वी सुहेलवा क्षेत्र, पष्चिमी सुहेलवा क्षेत्र और सम्मलित बफर क्षेत्र में भावर और रामपुर क्षेत्र सम्मलित है। इस प्राकृतिक वनों में विषाल प्राकृतिक वनों में विषाल प्राकृतिक संसाधन एवं जैव विविधता मौजूद है। सुहेलवा वन्यप्राणी अभयारण्य बौद्ध परिपथ एक महत्वपूर्ण केन्द्र श्रावस्ती के पास स्थित है और काफी संख्या में बौद्ध यात्री अभयारण्य की दक्षिणी सीमा पर अवस्थित इस पवित्र स्थल पर आते है। बौद्ध यात्री श्रावस्ती से ही बौद्ध परिपथ के अन्य महत्वपूर्ण स्थलों कपिलवस्तु, लम्बिनी और कुषीनगर को जाते है। जमीनदारी उन्मूलन अधिनियम 1952 लागू होने से पहले अभयारण्य का अधिवेषन वन क्षेत्र बलरामपुर के महाराज के व्यक्तिगत सम्पत्ति थी और इसे बलरामपुर स्टेट के नाम से जाना जाता था। जमीनदारों उन्मूलन के उपरान्त में जंगल उ0प्र0 राज्य में मिला दिये गये।
अभयाण्य की एक अन्य विषेषता थारू जनजाति के लोगों का इसमें निवास होता है। मंगोलायड नाक नक्से वाले में लोग काफी पहले से यहाँ रहते है और अपने अस्तित्व तथा आजीवका के लिए पूर्वतया वन क्षेत्र पर निर्भर है।
इन वन क्षेत्रों में प्रमुख रूप से खैर एवं शीषम के पेड़ांे की बहुतायत है। जामुन के भी वृक्ष है जिगना, हलडू, फलढू आदि के पौधें भी अच्छी मात्रा में है।
वन्य जीवों में बाघ तेदुएं, चीतल, भालू, भेड़िए, षियार, खरगोष, जंगली, शुअर, सांभर, बन्दर, लन्गूर, अजगर, उद्बिलाव आदि सामान्य रूप से पाये जाते है। विभिन्न प्रकार के पक्षी जैसे ब्लैक पैरिट बटेर, किंग फिषर, मैना, बाझ, नाइटिंगेल, कोयल तथा उल्लू भी इस वन क्षेत्र में पाये जाते है।
इस अभयारण्य क्षेत्र में चित्तौड़गढ़, कोहरगढ़, भगवानपुर, गिरगिया, खैरमान और रजियामाल जैसे कई जलश्रोत तथा जलाषय है। ये जलक्षेत्र बड़ी मात्रा में स्थानीय तथा प्रवासीय परिन्दों को आकर्षित करते है अभयारण्य के सभी जलक्षेत्रों में से चित्तौड़गढ़, भगवानपुर और रजियाताल सर्वाधिक मनोहारी दृश्य प्रस्तुत करते है।
संपर्क विवरण
पता: सुहैलदेव वन्यजीव अभयारण्य श्रावस्ती |
कैसे पहुंचें
सड़क के द्वारा
श्रावस्ती उत्तर प्रदेश के सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। निकटतम रेलवे गोण्डा में है जो श्रावस्ती शहर से 50 किलोमीटर दूर है। गोंडा लखनऊ, बरेली, कानपुर, इलाहाबाद, आगरा और मथुरा जैसे शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इन बसों का संचालन उत्तर प्रदेश राज्य पथ परिवहन निगम के साथ-साथ निजी कंपनियां भी करती हैं |